लेखनी प्रतियोगिता -17-May-2023 मेरी बेटी
दो महीने के ईलाज के बाद जब पन्नालाल की सेहत में कोई सुधार नहीं होता है, तो उसकी पत्नी और बेटी उसे गांव से लाकर दिल्ली के बड़े अस्पताल में भर्ती करवा देते है।
दिल्ली शहर में कोई उनकी जान पहचान का नहीं था। इसलिए पन्नालाल को अस्पताल में भर्ती करवा कर उसकी पत्नी और बेटी अस्पताल के अंदर कहीं खाली जगह देख कर रात काट लेती थी। पन्नालाल की देखरेख में और मरीजों के रिश्तेदारों की भीड़ भाड़ की वजह से उनका दिन तो आसानी से कट जाता था।
जब पन्नालाल का दस साल का बेटा भी अपने मां बाप और बहन के पास दिल्ली के अस्पताल में आने की जिद करने लगता है, तो पन्ना लाल के गांव का चचेरा भाई पन्नालाल को फोन करके कहता है कि "मैं तुम्हारे बेटे को दिल्ली छोड़ने आ रहा हूं।"
तो पन्नालाल उसे अपने बेटे को दिल्ली के अस्पताल में छोड़ने से मना कर देता है। और कहता है कि "एक-दो दिन में मुझे अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली है।"
पन्नालाल यह झूठ इसलिए बोलता है कि अगर उसका चचेरा भाई उसके बेटे को दिल्ली के अस्पताल में ले कर आएगा, तो उसे उसके आने जाने का किराया देना पड़ेगा। इस लंबी बीमारी की वजह से वह पहले ही कंगाल हो चुका था। और उसके चचेरे भाई की बीवी हद से ज्यादा कंजूस थी। किराए के पैसे वह हर हाल में उससे वसूल करके रहती। और उसे यह भी डर था कि अस्पताल के संक्रमण की चपेट में आकर उसका मासूम बेटा भी बीमार हो सकता है।
इसलिए वह अपनी 19 साल की बेटी को वापस गांव भेजने की बात अपनी पत्नी से कहता है और साथ में यह भी कहता है कि "अपने भाई का ध्यान रखने के साथ-साथ हमारी बेटी अपनी दोनों गाय का दूध बेचकर कुछ ऐसे हमारे पास अपने मोबाइल से भेजती रहेगी।"
दोनों मां-बाप डरते डरते मजबूर होकर अपनी 19 साल की जवान बेटी को अकेले वापस अपने गांव भेज देते हैं।
जिस रेल से पन्ना लाल कि बेटी अपने गांव वापस जा रही थी। उस रेल के डिब्बे में दो आवारा युवक पन्नालाल की बेटी को अकेला देखकर उससे छेड़खानी करना शुरू कर देते हैं।
और पन्नालाल की बेटी जब आवारा लड़कों का ज्यादा विरोध करती है तो उनमें से एक लड़का चाकू निकालकर पन्नालाल की बेटी से कहता है कि "देख हम दोनों तुझे अगले रेलवे स्टेशन पर रेल से उतार कर खेत में ले जाकर तेरी इज्जत लूटेंगे। जब तुझे समझ आएगा कि तूने किन लड़कों से पंगा लिया है।"
उनके हाथ में चाकू देखकर रेल के डिब्बे के सारे यात्री डर कर चुपचाप तमाशा देखते हैं रहते हैं।
लेकिन उस रेल के डिब्बे में 75 साल के बुजुर्ग से उन आवारा लड़कों की यह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होती है। और वह बुजुर्ग अकेला उन दोनों लड़कों का विरोध करने लगता है। और उन लड़कों से कहता है कि "इस लड़की को अकेला मत समझना यह मेरी बेटी है। और इस रेल के डिब्बे में जितने भी यात्री हैं, उनकी भी बहन बेटी है।"
उस बुजुर्ग की दिल छूने वाली यह बात सुनकर सारे यात्री उन दोनों लड़कों को पकड़कर अगले स्टेशन पर पुलिस के हवाले कर देते हैं।
दोनों लड़कों को पुलिस के हवाले करने के बाद वह बुजुर्ग रेल के डिब्बे के सारे यात्रियों से कहता है कि "अगर हम सब माता-पिता किसी अकेली लड़की को देखकर यह सोचे यह मेरी बेटी है। और अपने लड़कों को भी लड़कियों का आदर करना सिखाएं तो हमारी बेटियां भी बेटों की तरह आजादी से कहीं भी घूम फिर सकती हैं।"
डॉ. रामबली मिश्र
18-May-2023 01:10 PM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
18-May-2023 08:53 AM
Very nice
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Saroj Verma
17-May-2023 10:13 PM
Very nice👌👌,
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